Monday, July 23, 2012

चन्द्रेश्वर महादेव मंदिर, ऋषिकेश



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·                      · मंदिरों की नगरी ऋषि केश में हिन्दुओ के प्रमुख ईष्ट महादेव शिव के तीन   सिद्वस्थल है जिसमें से दो सि़द्वपीठों में सोमेश्वर व वीरभद्रेश्वर के बारे में आप इसी ब्लाग पर पढ सकते है ।लक्ष्मण झूला मार्ग पर चन्द्रभागा पुल को पार कर चन्द्रेशवर नगर में गंगा नदी के करीब यह मंदिर स्थित है ।यह स्थान बेहद रमणीक जहां शिव भक्तों की आवाजाही ,पूजा अर्चना हमेशा चलती रहती है।   
                 पौराणिक  आख्यानों के अनुसार समुद्र मंथन के बाद आदिकाल में चन्द्रमा ने इसी स्थान पर हजारों वर्षो तक भगवान शिव की कठिन तपस्या की । चन्द्रमा की अराधना से प्रसन्न हो                   
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शिव ने चन्द्रमा को साक्षात् दर्शन देकर वर मांगने को कहा चन्द्रमा हाथ जोडकर प्रार्थना करते  हुए भगवान शिव से विनती की" हे वृषभध्वज ,मुझे अपने सानिध्य में रखकर सेवा करने का अवसर प्रदान करें ।"शिव चन्द्रमा को वरदान देते हुए कहा" हे, देव मै तुम्हारी अराधना से प्रसन्न हो तुम्हे अपने मस्तक पर स्थान देता हूं । "जिस स्थान पर बैठकर चन्द्रमा ने शिव की घोर तपस्या की उसी स्थान पर शिव स्वयं लिंग रूप में प्रकट हुए उन्होने चन्द्रमा को वर देते हुए यह भी कहा कि भविष्य में यह स्थान संसार में चन्द्रेश्वर के नाम से प्रसिद्व होगा । 

स्कन्द पुराण के केदारखण्ड में गंगा जी की तीर्थ श्रृंखला क्रम में श्री चन्द्रेश्वर महादेव के सामने कुमुद तीर्थ गंगा का वर्णन है यह स्थान कुमुद तीर्थ का स्थान ही है मंदिर के सामने समीप ही गंगा अपनी पावनता के साथ बह रही है । 
मंदिर के प्रागंण में खडे होकर पुर्व दिशा में देखने पर चन्द्रकूट पर्वत की आकृति द्वितीया के चन्द्रमा की    तरह दिखलायी देती है ।
मान्यताओ के अनुसार चन्द्रेश्वर महादेव लिंग पर 40 दिनों तक दूध से अभिषेक करने पर पुत्र-धन-धान्य की प्राप्ति होती है ।श्रावण मास में रूद्राभिषेक व जलाभिषेक का विशेष महत्व है ।





चन्द्रेश्वर महादेव मंदिर में स्वामी विवेकानन्द ने सन् 1860 में लगभग दस मास तक तपस्या की थी । मंदिर का वातावरण बहुत शान्त तथा निर्मल है





2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

बहुत मनमोहक चित्र तथा सजीव वर्णन !

Suresh kumar said...

Bahut hi badhiya jaankaari..
Jai bhole bhandaari ki ...

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